जोधपुर का मेहरानगढ़ किला भारत का वो किला है जहां पर दफन हो गया था एक व्यक्ति जिंदा।

जिंदा दफन हो गया एक व्यक्ति

 राजस्थान राज्य अपनी संस्कृति,  और मसालेदार व्यंजनों के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है लेकिन जोधपुर का मेहरानगढ़ किला सबसे खास है यहां से पूरे शहर का नजारा देखा जा सकता है

जोधपुर का मेहरानगढ़ किला 

कब हुआ था किले का निर्माण

जोधपुर के मेहरानगढ़ किले का इतिहास 500 साल पुराना है जोधपुर के शासक राव जोधा ने 1459 में इस किले का निर्माण शुरू करवाया था  महाराजा जसवंत सिंह ने इसे पूरा करवाया था

कितनी दूरी तक फैली है किले की दिवारी

मेहरानगढ़ किले की दीवारें 10 किलोमीटर तक फैली है इसकी ऊंचाई 20 फीट से 120 फीट तक है दीवार की चौड़ाई 12 फीट से 17 फीट तक है 

राजाराम मेघवाल का स्मारक

राजाराम मेघवाल को श्रद्धांजलि देने के लिए किले के अंदर ही कब्र के ऊपर बलुआ पत्थर से स्मारक का निर्माण किया गया है जिसमें लगी शिलालेख पर पूरा वर्णन किया गया है

किले के अंदर है कुल 7 दरवाजे

इस किले में 7 दरवाजे हैं जिन्हें पोल भी कहा जाता है इनमें से जय पोल का निर्माण महाराजा मानसिंह ने 1806 में जयपुर तथा बीकानेर पर मिली जीत की खुशी में करवाया था

किले में है जोहर के निशान

मेहरानगढ़ किले में 15 से ज्यादा रानियों के हाथों के निशान मिले हैं जिन्होंने 1842 में अपने पति महाराजा मानसिंह की मौत के बाद जोहर किया था

आज किले का एक हिस्सा है संग्रहालय

शाही संग्रहालय का निर्माण करवाया गया है जिसमें कुल 14 कमरे हैं इनके अंदर शाही हथियार गहने वेशभूषा को रखा गया है यहां पर मोती महल फूल महल शीश महल को देख सकते हैं

ऋषियों ने दिया था शॉप

किले के निर्माण के समय यहां पर रह रहे साधुओं को जब राजा द्वारा जाने के लिए कहा गया तो उन्होंने सर्राफ किया कि यहां के पानी के स्रोत सूख जाएंगे

किले की नीव में जिंदा दफन हो गया व्यक्ति

राजा द्वारा माफी मांगने पर साधुओं ने उपाय के रूप में राज्य के एक व्यक्ति को स्वयं की इच्छा से किले की नींव में जिंदा दफन होने का उपाय बताएं

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