इक पीपल का पेड़ जहाँ दो दोस्त बहने बनकर रहती है। नाम है एहसास-रचना जो बस लिखती ही रहती है दोनो की है ख्वाइश नाम अपने को है चमकाना करनी होती है बाते इनको लिखना तो दोनों का है बहाना
दोस्ती है एक गहरा रिश्ता जिसको यादों में संजोना है यादों की बारात बनाकर एक बूँद के रूप में पिरोना है अपने-अपने ख्याल लिख कर एक किताब को बनाना है। अपने शब्दों को हर दिल में बसाना
इन आँखो से बहते आँसू देख ना पाऐगे सोहनी सूरत पे यह आँसू अच्छे लगते नही तुम रानी हो अपने महलो की कोई आम नही अश्को की बूँदो पे कभी भी सपने टिकते नही
तुमको नाजो से पाला होगा तुम्हारे माँ-बाप ने जिनके संस्कार बाजारों में कभी बिकते नही
तुमने खुद ही दीवार बना ली खुदको कैद रखने की बरसातो मेँ आँसू के निशान कभी दिखते नही
किसी के प्यार को अगर है पाना दर्द तो होगा ही फल किसी भी पेड़ पे सीधे पक्के कभी लगते नही
माना के तुम बात करते हो अपने चाहने की अपने चाहने वालो से परदे कभी रखते नही
अंदाजे से जिन्दगी का सफर मंजिल को पाता नही समंदर की गहराई लहरो से नाप सकते नही
समझले बात तूं अपने दिलबर "जिंद-जान" की इक तरफी मोहब्बत करने वाले कभी थकते नही