प्यार के सफ़र में अक्सर यह भूल जाता हूँ मैं पूछो कौन है वो साजन जिसको इतना चाहता हूँ मैं परछाई का राज एहसास से निकालना चाहता हूँ मैं बूँद-बूँद से बढ़कर उसको सागर बनाना चाहता हूँ मैं

गुलाब की कली है वो मगर खुशबू से परे क्यों ढूंढ रहा हूँ खुशबू उसकी वो जिंदगी में हरे क्यो चाहे हजारों काँटों की कगार हो उसके इर्द गिर्द शिद्दत से उसको खुशबूदार गुलाब बनाना चाहता हूँ मैं बूँद-बूँद से बढ़कर उसको सागर बनाना चाहता हूँ मैं

ईश्वर की है प्रेरणा और मुख्तसर है उसका ख्वाब जो जोड़ने में विश्वास रखे देती ऐसे सवालों के जवाब वो ना जाने कितने दिन रात गुजरे जमाने के वैसाख पे एह मेरे दिल अब उसकी तस्वीर बनाना चाहता हूँ मैं बूँद-बूँद से बढ़कर उसको सागर बनाना चाहता हूँ मैं

यह वक्त है कि मेरी रचना को शायद मानता ही नही मोहब्बत को शायद उसका दिल पहचानता ही नही अरे नाजुक है मेरे इश्क़ और यह रस्ता बड़ा अनजान सीने से लगाकर उसको इजहार बनाना चाहता हूँ मैं बूँद-बूँद से बढ़कर उसको सागर बनाना चाहता हूँ मैं

तन्हाई बेजुबान अब बोलने लगी है चाहते हमारी दम अब तोड़ने लगी हैं मोहब्बत के किनारे अब गुम हो रहे हैं। जिन्दगी खुद को अब ट्टोलने लगी है तन्हाई बेजुबान अब बोलने लगी है.

आईने से छुपकर ख्वाहिशे मांग लूँ ज़रा सच्च को छुपाकर तुम्हे मांग लूँ ज़रा ग़मों की बारिश में हम नाच ले ज़रा गिर रहे हैं आँसू उन्हे सँभालूँ ज़रा धड़कन हमारी राज अब खोलने लगी हैं तन्हाई बेजुबान अब बोलने लगी है

मैं जज बन जाउँ किसी के इश्क का सवाल बन जाउँ किसी के शक का मैं हूँ ना फैसला किसी के पक्ष का हार जाउँ फिर भी साथ दूँगी सच्च का बेवफा साँसे साथ अब छोड़ने लगी हैं तन्हाई बेजुबान अब बोलने लगी है

काबिल थी उसके या उसकी बेवफाई सही थी उसके साथ आबाद या छोड़कर तबाही सही थी हमसे उस फकीर ने कितनी बार सुनवाई करी थी क्या बेवफा हैं "जिद" या उसकी औकात बड़ी थी

अनमोल था रिश्ता जिसको अब झजोड़ने लगी हैं  तन्हाई बेजुबान अब बोलने लगी है