शहर का शोर चैन से सोने नहीं देती है दर्द कितना भी हो, रोने भी नहीं देती है

दिन प्रतिदिन हर तरह के प्रदूषण को बढ़ा रहे है चंद कागज के टुकड़ों के खातिर कितना दुख उठा रहे है

इंसान के पास ही इसका निवारण है प्रदूषण सब बीमारियों का कारण है

ख़ुद के जमीर से पूछो किसी अमीर से पूछो हवा में कितना जहर है शहर के गरीब से पूछो

इस शहर को यह क्या हुआ है चारों तरफ धुआं ही धुआं है

बीमारी रूपी मुसीबत हर किसी के हिस्से में आया है चाहे थोड़ा या ज्यादा सबने प्रदूषण फैलाया है

प्रदूषण स्वास्थ्य को छीन लेता है फिर पूरा जीवन दुख देता है

प्रदूषण को इसी तरह से जो बढ़ाओगे आने वाली पीढ़ियों को कैसे मूँह दिखाओगे

हम सब की है ये जिम्मेदारी प्रदूषण से मुक्त हो दुनिया सारी

प्रदूषण से हर कोई है परेशान खतरे में है हर इंसान की जान सभी लगाते है नारा मेरा भारत महान पर स्वच्छता में बहुत कम लोगो का है योगदान