कुछ करवट वक़्त ने फेरी कुछ मेहनत की मेने जर्जर ये ज़मीन भी देखकर मुस्कुराई
जब जब तेरे एहसासों ने मुझे आवाज लगाई मन की चौखट पर कमल की पंखुड़ियों ने ली अंगड़ाई
जैसे बंजर जमीन पर गेहूं की फसल लहराई मौसम सुहाना तब आया जब मन की लहरों पर फसलों की रंगत छाई
वो हवा की तरहा खुशबू लेकर खिलखिला जब मन में विश्वास की लौ जगमगाई।
अर्चना त्यागी
छूना है आसमां तो हाथ बढ़ाने पड़ेंगे सूरज की तरहां जलना पड़ेगा।
छूना है आसमां
चमकना है तो हजारों लहरें उठती है सागर में तुफान बनने के लिए खुद ऊभना पड़ेगा।
पानी वहीं उबलता है जो भांप बनकर उड़े उबलने के लिए खुद ही सुलगना पड़ेगा।
इम्तिहान बाकी है बहुत जिंदगी के जीने के लिए पास होना पड़ेगा
Level 5
निराश क्यों होते हो एक हार से इंसान हों इंसान बनना हैं तो अकेले लड़ना पड़ेगा।
वक़्त आईना दिखाता है ज़माने का वक़्त खराब हो तो सब्र करना पड़ेगा