एक बेनाम रिश्ते की बुंद मेरी जिंदगी में है न जाने कैसी मेरी और उसकी बंदगी है।

किस्मत ही साथ चल रही थी इसलिए हम मिले या जिंदगी की सच्चाई भी मिल रही थी इसलिए हम मिले

जब सवाल खुबसूरत हो तब क्या फर्क पड़ता है जवाब कुछ भी हो

मतलबी दुनिया में बेमतलब का भी रिश्ता हो सकता है दिखावे की दुनिया में सिर्फ सोच मिलने पर भी रिश्ता टीक सकता है

ऐसे ही रिश्ते साथ की अहमियत समझाते है वक्त बे वक्त अच्छाई का सुंदर उदाहरण दिखाते है

जब कोई वादा नहीं कोई उम्मीद नहीं तब सब आसान होता है और यही बात कुछ रिश्तों की पहचान होता है।

जो रिश्ता बेनाम होगा उसका क्या वजूद होगा पर कमल के पत्तों पर जैसे कोई एक बूंद का ठहराव होगा  उसी तरह ये रिश्ता मेरे दिल में निरंतर मौजूद होगा

सूरज की किरणे मानो आलस से रुकने को कह रही थी शाल ओढ़ कर ठंड प्यारी लग रही थी इस मौसम में कॉफी भी न्यारी लग रही थी

लगा वह भी रात में जगती है सुबह सूरज की किरणों में चमकती है

लग रहा था पत्तों पर मानो परी आकर बैठी है मेरी तरह वह भी रात भर चांद तारों से प्यार से लड़ी है

शायद उसे धरती की शैय्या पर सोना था तभी ठंडी हवा के झोंको के साथ पत्ते को हिलना था

उस सुबह ओस की बूंद तो सो गई पर उससे मिलकर मेरे अंदर की "रचना" जग गई