मैं न लगाऊँगी मेहंदी तेरे नाम की, कम्बख्त रंग चढ़ कर उतरता ही नही !

उनके हाथों पे मेहंदी का हमको ये फायदा हुआ, की रातभर उनके चेहरे से जुल्फे हम हटाते रहे !

मैं तेरे हाथों पर रच जाऊँगा मेहँदी की तरह, तू मेरा नाम कभी हाथों पर सजा कर तो देख !

तेरे हाथों के मेहंदी का रंग गहरा लाल है, क्योंकि मेरे इश्क का चाहत बेमिसाल है !

अपने हाथों की लकीरों मे मुझको बसाले, ये मुमकिन नहीं तो मेहंदी में मुझको रचाले !

वो मेहंदी के हाथों में क्या तराशेंगे नाम हमारा, जब नाम ही छुपा लिखा है उनके हाथों में !

तेरे मेहंदी लगे हाथों पे मेरा नाम लिखा है, जरा से लफ्ज में कितना पैगाम लिखा है !

करतूतें तो देखियें मेहंदी की, तेरा नाम क्या लिखी शर्म से लाल हो गई !

मेहँदी वाले हाथ वो तेरे पायल वाले पांव, याद बहुत आते हैं मुझको तू और अपना गाँव !

मेहँदी जो मिट कर हाथों पर रंग लाती है, दो दिलों को मिलाकर कितनी खुशियाँ दे जाती है !