Poem on love  and life : अर्चना त्यागी

किताबों के पढ़ने से तालीम हासिल नहीं होती सलीके सीखने पड़ते हैं जैसे इबादत जरूरी है

दर्द सहकर महफ़िल में खुशी जतानी पड़ती है मन्नत मांगे खुदा से हजारों दुआओं में तेरे लिए

ख्वाब आंखों में सजा गम को सहना पड़ता है हेरान क्यों हों जिन्दगी से रुखसत खुशी होती

Multiple Blue Rings

सैलाब उमड़ा है दरिया को खूद बहना पड़ता है सिफारिश खूदा से हर रोज करतीं हूं तुम्हारी

मेरी दुआओं में बस तुम्हारा सिर्फ एक नाम हो हर लम्हा गुजरने दो वक़्त का आहिस्ता ही सही

वक़्त की रफ्तार बदलेंगी जश्न खुशी का होगा मन्नत मांगे खुदा से इतनी की ग़म की पीर ना हो

झोली भरकर खुशियां हो कोई अंधेरी रात ना हो जिन्दगी में कभी तुम्हारी ग़म की बरसात ना हो

क्ली तुम बन जाओ मेरी, में कोई फूल बन जाता हूं सुखे सुखे आंगन में खिलकर चलों दोनों मुस्कुराते हैं

तुम लहर बन जाओ मेरी, मैं सागर बनकर हर्षाता हूं शान्त शान्त सागर में मिलकर दोनों चलों गोते लगाते है

तुम शाखा बन जाओ मेरी, मैं पैड़ कोई बन जाता हूं मिलकर चलों दोनों करें छाया. एक घरौंदा सजाते हैं

ख्वाब तुम मेरे बन जाओ, मैं मंजिल तेरी बन जाता हूं तुम मेरी दिल में बस जाना, में तेरे दिल में बस जाता हूं

एक तेरे होने का एहसास ही काफ़ी हैं। चांद की तरह चाहें दुर कितना भी हो