poem by hri mnu sain

कास उस दिन के बाद  वो रात ही ना  हुई होती !                   -  hri mnu sain

उस दिन बारिश ना आई होंती, अच्छा था। तेरा चांद सा चहरा, तुम यूं बारिश में ना ही भीगती, अच्छा था।।

- hri mnu sain

- hri mnu sain

उस दिन तुम स्कूल ना आई होती, तो अच्छा था । कास उस दिन स्कूल ही ना लगि होती, तो अच्छा था।।

- hri mnu sain

तेरे उन भीगे नैनो में ना ही घुलता कास में उस दिन तेरे साथ न आकर, हाफ छूटी में ही घर लोट जाता, तो अच्छा था कास में उस दिन स्कूल ही न आया होता, तो अच्छा था

- hri mnu sain

बारिश जो आई, कास वो रात भर न आई होती कास उस दिन के बाद वो रात ही ना हुई होती, तो अच्छा था

- hri mnu sain

मुझे तुमसे हुआ वो ठीक था, कास तुझे हमसे ना हुआ होता ये प्यार, मुझे बचपन में हुआ वो ठीक था, कास ये प्यार तुमसे ना हुआ होता, तो अच्छा था

- hri mnu sain

गलतियां करना तो लाजमी था, पर जैसा भी था बच्चा था गलती तो हुई है, पर हां प्यार तेरा वो सच्चा था जातियों के मेल-झोल कुछ समझ न पाए हम काश उन्हे समझ लेते तो अच्छा था

गलती तो हुई है पर हां प्यार मेरा वो सच्चा था काश वो मेरी जाती की होती... तो अच्छा था या ये प्यार उससे ना ही हुआ होता, तो अच्छा था

- hri mnu sain

बारिश में संग, और चढ़ती जवानी के कुछ रंग थे बच्चे थे नादान थे पर हमे याद है वो कितने सच्चे थे दोस्ती कहो या प्यार, क्लास भर में इसके चर्चे थे

- hri mnu sain