जिंदगी अनमोल है किसी तराजू में मत तौलिए  बेहिसाब खुशियां हैं इसमें बस उनको बटोरिए

दिल भरेगा नहीं कभी किसी बेहिसाब चाहत से चाहत दिल में कम और कर्म ज्यादा किए जा

मत देख दुनियादारी, खुद को संवारना सीख लें जिंदगी एक जिम्मेदारी है जिम्मेदारी उठानी सीख लें

मुस्कुरा ग़म में भी  खुशियां तभी ही मिलेंगी तुझे   बेहिसाब खर्चों की तरहां है गम की ये बीमारी

यूंही तूं जिंदगी को बेहतर बनाये जा  खुद मुस्कुरा और  सबको मुस्कुराना सीखाएं जा

जानें क्यों? लब चुप हो जातें हैं कहने से पहले, खामोश हो जातें हैं!

थोड़ा सहम जाते हैं. थोड़ा रुक जाते हैं। हृदय में टटोलते हैं मन के भाव खोज नहीं पाते

हृदय में उमड़ते प्रेम को स्वपन आंख मिचौली खेलते हैं! कभी पलकों पर ठहर कर  कभी चेहरे पर झलक कर चलता रहता है

दिल के अंतर्मन में धूधली सी तस्वीर लिए। दूर कहीं. से आवाज आती है तेरी आहट की फिर खो जाती है कहीं धूल भरी आंधी में

हाथों की लकीरें भी अब तो अधूरी लगती है तुम से जुड़े रहने की ख्वाहिश करती है शायद मुझमें वो हुनूर नहीं जो जोड़े रखें, तुम्हे मुझसे यहीं डर सताता है मुझे ।