ये इनायतें गज़ब की, ये बला की मेहरबानी मेरी ख़ैरियत भी पूछी, किसी और की ज़बानी।

अभी आए, अभी बैठे, अभी दामन संभाला है, तुम्हारी जाऊं जाऊं ने हमारा दम निकाला है।

दुनिया को लगते हैं बुरे अंदाज मेरे, लोग कहाँ जानते हैं गहरे राज़ मेरे।

दिल की कीमत तो मोहब्बत के सिवा कुछ न थी, जितने भी मिले, सूरत के खरीदार मिले।

वो खुश है बिछड़ कर मुझसे, ऐ दुनिया बेवफ़ा न कह उसको।

इस दिल में अरमान कोई रखना दुनियाँ की भीड़ में पहचान कोई रखना, अच्छे नहीं लगते जब रहते हो उदास इन लबों पर सदा मुस्कान वही रखना।

आवारगी मेँ हद से गुज़र जाना चाहिये, लेकिन कभी-कभार तो घर जाना चाहिये।

घायल कर के मुझे उसने पूछा करोगे क्या फिर मोहब्बत मुझसे, लहू-लहू था दिल मेरा मगर... होंठों ने कहा बेइंतहा-बेइंतहा।

इश्क में तेरा यकीन बन जाऊं, दर्द में तेरा सुकूं, तुम रखो कदम जहाँ, खुदा करे मैं वो जमीं बन जाऊं।

जो चाहती दुनिया है वो मुझ से नहीं होगा, समझौता कोई ख़्वाब के बदले नहीं होगा।

मैंने दिल को भी सिखा दिया औकात में रहना, वरना जिद्द करता था उसकी जो नसीब में नहीं।

तराशिए ख़ुद को इस जहां में कुछ इस कदर, कि पाने वाले को नाज हो और खोने वाले को अफसोस।

तराशिए ख़ुद को इस जहां में कुछ इस कदर, कि पाने वाले को नाज हो और खोने वाले को अफसोस।

यूं तो किसी चीज के मोहताज नही हम, बस एक तेरी आदत सी हो गयी है।

मैं घर का रास्ता भूला, जो निकला आपके शहर से इमारत दिल की ढह गई, आपके हुस्न के कहर से,

बहुत मसरूफ हो शायद जो हमको भूल बैठे हो, ना ये पूछा कहाँ पर हो, ना ये जाना के कैसे हो।

आसरा इक उम्मीद का देके मुझसे मेरे अश्क न छीन, बस यही एक ले दे के बचा है मुझ में मेरा अपना।

कि पता पूछ रहा हूँ मेरे सपने कहाँ मिलेंगे, जो कल तक साथ थे मेरे अपने कहाँ मिलेंगे।

सकून मिलता है जब उनसे बात होती है हज़ार रातों में वो एक रात होती है, निगाह उठाकर जब देखते हैं वो मेरी तरफ मेरे लिए वो ही पल पूरी कायनात होती है।

दो शब्द तसल्ली के नहीं मिलते इस शहर में, लोग दिल में भी दिमाग लिए फिरते हैं।

बिना लिबास के आये थे इस जहां में ,  बस एक कफ़न की खातिर इतना सफर करना पड़ा

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