- hri mnu sain
मानव तेरा धर्म बता दे, तुझे रोज बदलते देखा है जो तेरा कोई कर्म नही, वो कर्म बदलते देखा है ना जाने क्यूं इतना बदले, रोज बदलते देखा है
तेरा कहना पुराना है खुदा जीवन का दाता है ये सब का विधाता है, चलो मान लिया चलो मान लिया ये जीवन दाता हैं जीवो का उसे भोग लगे, केसा तेरा विधाता है
जीव हत्या की बात लिखी हो ऐसा कोई धर्म नही ऐसा कहीं अगर लिखा हो तो धोखा है वो धर्म नही
वो जीवन का रक्षक है , जीवों का भक्षक केसे बन सकता है जो बेजूबां का भक्षक हों,किसी का रक्षक केसे बन सकता है जो जीवो को जनने वाला, वो जीवो को खाता नहीं खुद जने जीवों को खुदा ने, तो ऐसा भोग वो चाहता नही
है अगर वो सच्चा, तो तुम भी थोड़े सच्चे बनो वो जीवो को जनने वाला, तुम भी थोड़े अच्छे बनो दिल पे लेने की बात नहीं ये, दिल की आवाज दिल से सुनो अधिकार जीने का सबको है, खुदा के बंदों नेक बनो
खुदा जीवन को देने वाला छप्पन भोग लगाओ तुम वो भी मेरा, तुम भी मेरे, ऐसा अनुमान लगाओ तुम मेरा राम भी तेरा हों, ऐसा पैगाम सुनाओ तुम मेरे भाई से विनती मेरी जीवों को ना स्ताओ तुम
- hri mnu sain
में भी मत्था टेक स्कु, शंकर को दूध चढावो तुम वो खुद बली ना बन जाए, दूध की खीर चढ़ावो तुम मां चाहे ना मान सको, पर इंसान का धर्म निभाओ तुम उसे भी जीने कि इच्छा है, जरा सी दया दिखाओ तुम
समय समय की बात यहां, पल-पल बदलते देखा है मानवता की बात यहां, सब्दो का अर्थ बदलते देखा है ज्ञानी भतेरे भरे पड़े है, बात बदलते देखा है अनर्थ मेरे दिल में नही, लोगो को अर्थ बदलते देखा है
कोई चाहे कितना कहले, पर एक बात में फिर से कहदू सबको जीने का अधिकार है, वो तेरा कोई आहार नही अगर खुदा जीवन को देने वाला, तो हत्या धर्मो का सार नही