इसका इतिहास बेहद दिलचस्प है। आइए जानें कावेरी नदी के इतिहास और उद्गम की कहानी और इससे जुड़े कुछ रोचक तथ्यों के बारे में।

इसकी लम्बाई प्रायः 760 किलोमीटर है। दक्षिण पूर्व में प्रवाहित होकर कावेरी नदी बंगाल की खाड़ी में मिली है।

सिमसा, हेमावती, भवानी इसकी उपनदियाँ है। कावेरी नदी के किनारे बसा हुआ शहर तिरुचिरापल्ली हिन्दुओं का प्रसिद्ध तीर्थ स्थान है।

कावेरी नदी के डेल्टा पर अच्छी खेती होती है। इसके पानी को लेकर दोनो राज्यों में विवाद है। इस विवाद को लोग कावेरी जल विवाद कहते हैं।

कावेरी नदी पर तमिलनाडु में होगेनक्कल जलप्रपात तथा कर्नाटक राज्य में भारचुक्की और बालमुरी जलप्रपात अवस्थित है।

प्राचीन तमिल साहित्य में, नदी को पोन्नी भी कहा जाता था (स्वर्ण दासी, यह जमा होने वाली महीन गाद के संदर्भ में)।[4][5][6] इसे दक्षिण भारत की गंगा भी कहते है।

क्षिण की गंगा कहलाने वाली कावेरी का वर्णन कई पुराणों में बार-बार आता है। कावेरी को बहुत पवित्र नदी माना गया है।

कवि त्यागराज ने इसका वर्णन अपनी कविताओं में कई जगह किया है। भक्तगण इसे अपनी माँ के समान मानते हैं।।।।।

– इसके उद्गमस्थल कावेरी कुंड में हर साल देवी कावेरी का जन्मोत्सव मनाया जाता है। – दक्षिण की प्रमुख नदी कावेरी का विस्तृत विवरण विष्णु पुराण में दिया गया है।

– यह सह्याद्रि पर्वत के दक्षिणी छोर से निकल कर दक्षिण-पूर्व की दिशा में कर्नाटक और तमिलनाडु से बहती हुई लगभग 800 किमी मार्ग तय कर कावेरीपट्टनम के पास बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है।

– कावेरी नदी में मिलने के वाली मुख्य नदियों में हरंगी, हेमवती, नोयिल, अमरावती, सिमसा , लक्ष्मणतीर्थ, भवानी, काबिनी मुख्य हैं।

कावेरी नदी के तट पर अनेक प्राचीन तीर्थ तथा ऐतिहासिक नगर बसे हैं। कावेरी नदी तीन स्थानों पर दो शाखाओं में बंट कर फिर एक हो जाती है,

जिससे तीन द्वीप बन गए हैं, उन द्वीपों पर क्रमश: आदिरंगम, शिवसमुद्रम तथा श्रीरंगम नाम से श्री विष्णु भगवान के भव्य मंदिर हैं।

यहाँ स्थित शिवसमुद्रम जल प्रपात प्रसिद्ध स्थल है। यह मैसूर नगर से क़रीब 56 कि.मी. उत्तर-पूरब में कावेरी के दोआब में बसा है।

यहाँ पर कावेरी का जल, पहाड़ की बनावट के कारण, विशाल झील की तरह दिखाई देता है।

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– महान शैव तीर्थ चिदम्बरम तथा जंबुकेश्वरम भी श्रीरंगम के पास स्थित हैं। इनके अतिरिक्त प्राचीन तथा गौरवमय तीर्थ नगर तंजौर , कुंभकोणम तथा त्रिचिरापल्ली इसी पवित्र नदी के तट पर स्थित हैं

– मैसूर के पास कृष्णराज सागर पर दर्शनीय ‘वृंदावन गार्डन’ इसी नदी के किनारे पर निर्मित है।

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हमारा देश कई विविधताओं से भरा है और हर एक जगह का अलग इतिहास है। जहां एक तरफ भारत के सभी स्थानों की अलग कहानी है

वहीं देश की नदियों की भी अपनी अलग दास्तां है। सदियां गुजरती गईं और समय ने कई बार करवटें बदलीं,,,,,,,,,

लेकिन भारत की नदियां अपने जल से लोगों की आवश्यकताएं पूरी करती गईं। नदियों ने न कभी अपना रुख बदला और न ही अपने जल को खुद में समेटे रखा।

कुछ ऐसी ही कहानी है भारत की पवित्र नदियों की जो निरंतर अपनी दिशा में बहती जा रही हैं।

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भारत की कई पवित्र नदियां आज भी पूजी जाती हैं और आगे भी उनकी पूजा करके लोग सुख समृद्धि के दावेदार बनेंगे। गंगा, यमुना, नर्मदा, शिप्रा नदी की पवित्रता के साथ भारत की एक और पवित्र नदी है कावेरी नदी।

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