तालीम बड़ी थी तुम्हारी, हम ठहरे अनपढ़ बात कैसे बनती फासले की कड़ी बीच में
होदा तुम्हरा बड़ा ख़ास और हम बेकार फिर मोहब्बत का सिलसिला कैसे पनपता
तुम अंग्रेजी बोलते फर्राटेदार हम हिंदी के गंवार जिन्दगी में दोनों का मेल फिर कैसे बनता
तुम्हारी दौलत की चाहत बढ़ती जा रही थी हम रिश्तों की दुनिया में रिश्ते निभा रहे
तुम सौदे करने में माहिर हैसियत दिखा रहे सौदों के बाज़ार में प्यार का व्यापार कैसे चलता
शिकवा और शिकायत क्या करतें, रूसवाई में हम तेरे नक्शे कदम को जीवन में अपना रहे
मुसाफिर हैं वो अक्सर बहकता है मेरी गलियों में आकर के होले होले ही सही दिल ए दर्द देकर चहकता है गलियों में
पूछती है ये बलखाती रूत जब हसीन उसके इरादों को झुकाकर नजरें अपनी दिल ए हाल वयां करता है रुखा सा
तमन्नाओं का मंजर झलक जाता है उसकी निगाहों में अक्सर जब जब मुस्कुराकर वो मेरी गलियों से गुजरता है
याद रहती है मुझको भी उसकी हरकत की हर स्मृति टिकी रहती है निगाहें मेरी उसके चुलबुली किरदार पर
गुजरता है आजकल वक़्त उसका मेरे घर के इर्द-गिर्द उसकी प्यार भरी आंखें आज भी मुझको निहारती है