कैसे कहूं वो सिर्फ दोस्ती की बूंद है वो तो प्यार का समंदर है मेरे होने से उसका होना है मुझे खोने से उसका दिल रोना है

मेरी फिकर की मूरत है वो मेरे लिए प्यार की जीती जागती सूरत है वो ना जाने क्यों इतना लगाव है उसको शायद पिछले जन्म का खिंचाव खींचता है मुझ को मुझ से

मेरे साथ होती है तो खुश होती है। वो हंसती है तो मुझे प्यारी लगती है।

यादें कई है हमारी, पर उनमें सब से खास याद है हंसी की हमारी

कुछ तो भगवान की "कृपा " रही होगी जो मेरे हर वक्त में तुम मेरे साथ रही होगी

कैसे कहूं वो सिर्फ दोस्ती की बूंद है वो तो प्यार असीम समुंदर है

चल मिलकर ऐसी दुनिया सजाएं  जहां प्रेम का रंग बरसे  हर कोई भीगे इसमें  यहां स्नेह से कोई ना तरसे।

साथ वो रहें नहीं, जब तक ज़रूरत थी कुछ क़दम तक साथ मेरे वो चलते रहें मंजिल मिलती गई उन्हें, वो बिछड़ते रहें

बुनियाद रखी तो मज़बूत थीं, जानें कैसे हिल गई कुछ खंडर होकर बिखरे, कुछ टूट कर बिखर गए

खामोश पत्थर वे, बेरुखी पलकों पर सजाए यें कुछ सपने केवल स्मृति के चिन्ह बनकर रह गये हम जब गिरे मंजिल से फिसल कर जमीं पर लोग इल्ज़ाम देते रह गये