Shayri की दुनियां - आप पढ़ रहे हैं कुछ बेहतरीन जो है दिल के अल्फाज

मत पुछो खुद से खुद की औकात को समझ नहीं आता आजकल विश्वास को

बदला बदली का चलन बड़ा मसहूर हैं।  वादे, रिश्ते नाते, दोस्त, हर रोज बदलते हैं

बदलने में माहिर आज कल सब चोर है कोई विश्वास तोड़ता है यहां कोई भरोसा

चला चलन है सब अपने चलन में मशहूर है।  सत्य की कसौटी पर कोई उतरता नही खरा

कालर में दांग सभी के कुछ ना कुछ जरुर हैं. गाड़ी फंसी है सभी की रेतीली जमीन में

ईमानदारी दिखाते है जो जितनी आजकल  कोई कितना भी सरीफ है उसकी वर्दी में चोर है

क्या पता था चलतें चलते ही मोहब्बत हों जायेंगी बिना जानें, बिना पहचानें, तुम से एक नज़र में

मुसाफिर जो सफ़र में मिलें, हमसफ़र बन जायेंगे बिना साहिल, बिना मंजिल ही तुम से एक नज़र में

उठाया था हाथ पकड़ राहों से हमें, जब गिरे हम  क्या पता था दिल में बैठ जायेंगे, एक नज़र में

निगाहों से निगाहें मिली, मिलें जब दिल से दिल क्या पता था वो जिंदगी बन जायेंगे, एक नज़र में