ऐ ख़ुदा बस एक ख़्वाब सच्चा दे दे, अबकी बरस मानसून अच्छा दे दे,

चीर के जमीन को, मैं उम्मीद बोता हूँ… मैं किसान हूँ, चैन से कहाँ सोता हूँ…

ज़िन्दगी के नगमे कुछ यूँ गाता, मेहनत मजदूरी करके खाता, सद्बुद्धि सबको दो दाता, हम है, अगर हैं अन्नदाता.

शुक्र हैं कि बच्चे अब शर्म से नही मरेंगे, चुल्लू भर पानी खुदा दे, दुआँ करेंगे.

गरीब किसान को हैरान देखा, जरूरतों से परेशान देखा, देश कैसा अनोखा है अन्नदाता ही भूखा है.

किसान की आह जो दिल से निकाली जाएगी क्या समझते हो कि ख़ाली जाएगी

मुफ़्त की कोई चीज बाजार में नहीं मिलती, किसान के मरने की सुर्खियां अखबार में नहीं मिलती।

खेतों का पानी अब आखों में आ गया हैं, मेरे गाँव का किसान अब शहर में आ गया हैं.

लोग कहते हैं बेटी को मार डालोगे,तो बहू कहाँ से पाओगे? जरा सोचो किसान को मार डालोगे, तो रोटी कहाँ से लाओगे?

किसान की आह जो दिल से निकाली जाएगी क्या समझते हो कि ख़ाली जाएगी