हमारे देश में नदियों का इतिहास काफी पुराना है
और सभी नदियों की अपनी अलग कहानी है।
हां गंगा ने अपने जल से अनगिनत लोगों को पवित्र किया वहीं यमुना और गोदावरी भी कुछ सुनी और अनसुनी बातों की साक्षी बनीं।
नदियों की जब भी बात आई भारत हमेशा से सबसे आगे ही रहा।
गंगा, यमुना, सरस्वती की ही तरह भारत की अलग नदियों में से एक है कृष्णा नदी।
यह पश्चिमी घाट के पर्वत महाबलेश्वर से निकलती है। इसकी लम्बाई प्रायः 1400 किलोमीटर है।
यह दक्षिण-पुर्व राज्य महाराष्ट्र, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश में बहती हुई बंगाल की खाड़ी में जाकर गिरती है।
कृष्णा नदी की उपनदियों में प्रमुख हैं:
कुडाळी,वेण्णा,कोयना,पंचगंगा,दूधगंगा,तुंगभद्रा, घटप्रभा,मलप्रभा, मूसी और भीमा।
कृष्णा नदी के किनारे विजयवाड़ा एंव मूसी नदी के किनारे हैदराबाद स्थित है।
इसके मुहाने पर बहुत बड़ा डेल्टा है। इसका डेल्टा भारत के सबसे उपजाऊ क्षेत्रों में से एक है।
कावेरी नदी जल विवाद को लेकर कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच जल विवाद चल रहा है।
कृष्णा नदी का संगम बंगाल की खाड़ी है। इस नदी पर दो जलप्रपात बने हुए हैं।
शिवसमुद्रम जलप्रपात-इस जलप्रपात से सर्वाधिक मात्रा में जलविधुत पैदा की जाती है।
श्रीरंगपट्टनम जलप्रपात के बारे में अभी फिलहाल कोई जानकारी स्रोत उपलब्ध नहीं है
कृष्णा नदी जल विवाद न्यायाधिकरण 1969 तीन राज्यों में इसका विवाद चल रहा है महाराष्ट्र कर्नाटक और आंध्र प्रदेश
श्रीमद्भागवत[1]में इसका उल्लेख है—'…कावेरी वेणी पयस्विनी शर्करावती तुंगभद्रा कृष्णा वेण्या भीमरथी…'
कृष्णा और वेणी के संगम पर माहुली नामक प्राचीन तीर्थ है।
पुराणों में कृष्णा को विष्णु के अंश से संभूत माना गया है।
महाभारत सभापर्व[2]में कृष्णा को कृष्णवेणा कहा गया है
और गोदावरी और कावेरी के बीच में इसका उल्लेख है
जिससे इसकी वास्तविक स्थिति का बोध होता है- 'गोदावरी कृष्णवेणा कावेरी च सरिद्वारा'।
कृष्णा नदी महाराष्ट्र के महाबलेश्वर से निकलती है।
एक प्राचीन शिव मंदिर है जहां एक गाय के मुंह से एक धारा निकलती है।
ऐसा माना जाता है कि यह धारा ही आगे जाकर कृष्णा नदी बन जाती है। कृष्णाबाई मंदिर महाबळेश्वर (महाबलेश्वर की खास जगहें) में पंचगंगा मंदिर के पास स्थित है।
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