बीकानेर के भुजिया में राजस्थान के मोठ मोगर की मिठास एवं बीकानेर के पानी का जो स्वाद होता है वो कहीं और के बने भुजिया में नहीं होती इसलिये बीकानेर

चाहे हल्दीराम हो या बिकाजी, बीकानेरी नमकीन का नाम लेते ही आपके मुंह में अगर पानी आ जाता है, तो यह इस शहर की भुजिया का ही

बीकानेरी भुजिया की पहचान राजस्थान के बीकानेर के नाम से जुड़ी हुई है। यह एक बेसन के महीन सेव व जवे जैसे बनाकर खाद्य तेल में तले जाने

। इसमें बेसन को छोड़ मूँग, मोठ, मटर आदि के आटे भी मिलाए जाते हैं। साथ ही कई सम्बार (मसाले) भी डाले जाते हैं

1877 में, महाराजा श्री डुंगर सिंह के शासनकाल के दौरान, भुजिया का पहला बैच बीकानेर की रियासत में बनाया गया था।

इसका असर आगरे की प्रसिद्ध दालमोठ पर भी पडा है, जिसमे आजकल मोठ के स्थान पर साबुत मसूर का प्रयोग होता है।

असली दालमोठ देसी घी से बनती थी, उसमे साबुत मोठ, तरबूज मगज व तीखे पन हेतु काली मिर्च का प्रयोग होता था। अब तो वह नाम की दालमोठ बची है। महंगाई के कारण अब दालमोठ मे उक्त कोई पदार्थ नही पडते।

असली बीकानेरी भुजिया वैसे ही बनती है, जैसे आजकल सभी जगह बनती है। फर्क यह है कि असली भुजिया मोठ के बेसन से बनती है,

बीकानेर के वातावरण में बहुत ज्यादा गर्मी है और वहां पर बनने वाले भुजिया के लिए एक दम परफेक्ट है, दूसरा वहां का पानी नमकीन है

भुजिया के लिए सही है तो जैसा टेस्ट बीकानेरी भुजिया में बीकानेर में बनने में आता है दूसरी जगह आ ही नहीं सकता

बीकानेरी भुजिया में लहसुन है क्या? यह रेडी टू ईट स्नैक ओस बेसन और बेसन से बना है. बिकानो बीकानेरी भुजिया स्वास्थ्यवर्धक है, इसमें कोलेस्ट्रॉल शून्य है, और इसमें प्याज और लहसुन नहीं है।

उन्होंने अब बीकानेर से सामान लाना बंद कर दिया और सब कुछ अपनी दुकान के बैकयार्ड में ही बनाने लगे.

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