बेवफा लोग बढ़ रहे हैं धीरे धीरे, इक शहर अब इनका         भी   होना   चाहिए…

आँखें थक गई है आसमान को देखते देखते पर वो तारा नहीं टूटता, जिसे देखकर तुम्हें मांग लूँ

रुठुंगा अगर तुजसे तो इस कदर रुठुंगा की ,, ये तेरीे आँखे मेरी एक झलक को तरसेंगी !!

तुझसे अच्छे तो जख्म हैं मेरे । उतनी ही तकलीफ देते हैं जितनी बर्दास्त कर सकूँ

मेरी हर आह को वाह मिली है यहाँ….. कौन कहता है दर्द बिकता नहीं है

तुमने समझा ही नहीं और ना समझना चाहा, हम चाहते ही क्या थे तुमसे “तुम्हारे सिवा

क्या बात है, बड़े चुपचाप से बैठे हो. कोई बात दिल पे लगी है या दिल कही लगा बैठे हो.

किसी को न पाने से जिंदगी खत्म नहीं होती लेकिन किसी को पाकर खो देने से कुछ बाकी भी नहीं रहता|

सुकून की तलाश में हम दिल बेचने निकले थे खरीददार दर्द भी दे गया और दिल भी ले गया|

वो छोड़ के गए हमें, न जाने उनकी क्या मजबूरी थी, खुदा ने कहा इसमें उनका कोई कसूर नहीं, ये कहानी तो मैंने लिखी ही अधूरी थी.

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