आखिर ये बेवफाई और वफ़ा क्या है तेरे जाने के बाद देर तक सोचता रहा
ज़िंदगी है बस चार दिन की कुछ भी ना गिला कीजिये, दवा, जहर, जाम, इश्क़ जो मिले मज़ा लीजिये...
लोग तो आपको आपकी कमिया ही दिखाएंगे, मगर आपकी नज़र अपने हुनर पे होनी चाहिए।
रोज रोज गिरकर भी मुकम्मल खड़ा हूँ, ऐ मुश्किलों, देखो मैं तुमसे कितना बड़ा हूँ।
काश इक दिन ऐसा भी आये हम तेरी बाहों में समा जाएँ, सिर्फ हम हो और तुम हो और वक्त ही ठहर जाए।
मैं जिस के साथ कई दिन गुजार आया हूँ वो मेरे साथ बसर रात क्यूँ नहीं करता