तलब करें तो मैं अपनी आँखें भी उन्हें दे दूँ, मगर ये लोग मेरी आँखों के ख्वाब माँगते हैं।
ये ज़िन्दगी हसीं है इस से प्यार करो, अभी है रात तो सुबह का इंतज़ार करो, वो पल भी आएगा जिसकी ख्वाहिश है आपको, रब पर रखो भरोसा वक़्त पर एतबार करो।
इतना बेताब न हो मुझसे बिछड़ने के लिए, तुझे आँखों से नहीं मेरे दिल से जुदा होना है।
बहुत दर्द हैं ऐ जान-ए-अदा तेरी मोहब्बत में, कैसे कह दूँ कि तुझे वफ़ा निभानी नहीं आती।
कितना लुत्फ ले रहे हैं लोग मेरे दर्द-ओ-ग़म का, ऐ इश्क़ देख तूने तो मेरा तमाशा ही बना दिया।
हमसे न करिये बातें यूँ बेरुखी से सनम, होने लगे हो कुछ-कुछ बेवफा से तुम।
फरियाद कर रही है यह तरसी हुई निगाह, देखे हुए किसी को ज़माना गुजर गया।