- Archana Tyagi
में उसकी दास्तानें - ए - इश्क हूं वो मेरी मोहब्बत का सरताज में इश्क में डूबा उसका जज़्बात हूं वो मेरे प्यार की फरियाद
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में उसकी मंजिल की ख्वाईस हूं वो मेरे होंसले की मिसाल में स्वपन हूं उसकी जिंदगी का वो मेरे जीवन का पहरेदार
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छलकर हमें वो बीच शहर छोड़ कर चला गया वी प्रीत का अपना रंग हम पर डाल कर चढ़ा गया
जिसके संग क़दम मिलाकर चलना मुझको भाता था जिसकी खुशियों की लौ बनकर जलना मुझको आता था
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उस दीपक की बाती बनकर हर रोज जली हूं में सुख में, दुख में, जीवन के तन्हा पथ में, साथ चली हूं मैं
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जिन्दगी के सफ़र में तूं मुझको तन्हा छोड़ गया खुद मंजिल पर जा बैठा, मुझे अकेला छोड़ गया
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