शाख से पत्ते गिरे हो, मैं ऐसे भटकना नहीं चाहती हूँ… मैं अपनी भी जड़ें रखना चाहती हूँ… हाँ … मैं जमीन से ही सदा जुड़े रहना चाहती हूँ…
कुदरत साथ ना दे तो दुनिया साथ नहीं देती… मेरी अपनी ही परछाई धूप आने के बाद मिली…