एक उम्मीद मिली थी
तुम्हारे आने से
अब वो भी टूट गयी ,
वफादारी की आदत थी हमे
अब शायद वो भी छूट गई।
जिसके नसीब में हो
ज़माने की ठोकरे,
उस बदनसीब से
सहरो की बात न कर।
कितनी झूठी होती है
मोहब्बत की कसम ,
देखो तुम भी ज़िंदा हो
मैं भी ज़िंदा हूँ।
सिर्फ सहने वाला ही जानता है
की दर्द कितना गहरा है।
जहाँ हिम्मत ख़तम होती है,
वही हार की शुरुआत होती है।
तजुर्बे ने
एक ही बात सिखाई है,
नया दर्द ही,
पुराने दर्द की दवाई है।
मेरी जंग थी वक़्त के साथ
फिर वक़्त ने
ऐसी चाल चली, मैं अकेला होता गया।
यक़ीन कीजिये साहब
यक़ीन ने ही मारा है.
वो करीब तो बहुत है
मगर कुछ दूरियों के साथ ,
हम दोनों जी तो रहे है
मगर मजबूरियों के साथ।
बहुत बहुत रोयेगी
जिस दिन मैं याद आऊंगा,
और बोलेगी एक पागल
था जो पागल था सिर्फ मेरे लिए।
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attitude में तो डिग्री हासिल है.
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