मैंने मेरी साँसों को क्यो कैद कर रखा है तकलीफ क्यो उठाऊँ! क्यो ना आज इसे आजाद करदूं मैं अपने शरीर के हर दर्द कोप्यार से मुक्त कर! क्यो ना आज इसे आबाद कर दूं में

इस जीवन की कहानी यहाँ बूँदो में बिकता है पानी प्यार से लेकर बेवफाई तक सबकी दिलचस्प हैकहानी

हर कोई जी रहा है अपनी धुन में बनकर राजा रानी आज की बात नही है साकी यह सदीयों की बात पुरानी

जैसे फूलों से गिरता पानी सुबह का हो तुम जैसे किसी राजा और रानी की कहानी हो तुम

शायद तुम ना होते तो यह वजूद ना होता आहे भरता रहता यह दिल यूँ चूर-चूर ना होता

कैसे पता चलता "जिंद" कि जुदाई में क्या हैं इन्तजार ही करते हम कि रुसवाई में क्या हैं

तुम ना होती तो यह कुछ भी ना होता ना हमें तुमसे प्यार होता और यह इजहार भी ना होता

मुस्कान आ रही है चेहरे पर अब खत्म हो रही है सभी चिंता मेरी धूल उड़कर बैठ रही है खिलते चेहरों पें आत्मा बनकर उड़ रही है सब सखियां मेरी

कुदरत ने भी सांसे देने से मना कर दिया पैसों से भी सांस उधारी अब मिलती नहीं राजनीति चल रही है सांसों की जहां मुसाफिर बिना चाहत के अक्सर  मंजिल सभी को मिलती नहीं

दिल चाहता है दो शब्द और मैं लिख दूं इन सांसों की हो अगर थोड़ी सी मेहरबानी बूंद-बूंद बनकर छलका अपनों की आंखों से पानी  निर्मल गंगा आ-पवित्र कर दी बहते शवों की यह कहानी

सुन जरा अंतिम दर्शन करले दुनिया के आंखों की प्यास अगर बुझ जाए तुम्हारी कब कहां कैसे कोई छीन ले तेरी चाहत को समय रहते डोली सिंगार ले तू अनजान रास्तो की सवारी