मुझे ये डर है तेरी आरजू न मिट जाये, बहुत दिनों से तबियत मेरी उदास नहीं।

अब न खोलो मेरे घर के उदास दरवाज़े, हवा का शोर मेरी उलझनें बढ़ा देता है।

मेरे दुश्मन भी मेरे मुरीद हैं शायद, वक़्त-बेवक्त मेरा नाम लिया करते हैं, मेरी गली से गुजरते हैं छुपा के खंजर, रुबरू होने पर सलाम किया करते हैं।

हालात के कदमों पर समंदर नहीं झुकते, टूटे हुए तारे कभी ज़मीन पर नहीं गिरते, बड़े शौक से गिरती हैं लहरें समंदर में, पर समंदर कभी लहरों में नहीं गिरते।

हौसले भी किसी हकीम से कम नहीं होते, हर तकलीफ़ में ताकत की दवा देते हैं।

एक सूरज था कि तारों के घराने से उठा, आँख हैरान है क्या शख़्स ज़माने से उठा।

हमें न मोहब्बत मिली न प्यार मिला, हमको जो भी मिला बेवफा यार मिला, अपनी तो बन गई तमाशा ज़िन्दगी, हर कोई मकसद का तलबगार मिला।

शिकायत क्या करूँ दोनों तरफ ग़म का फसाना है, मेरे आगे मोहब्बत है तेरे आगे ज़माना है।

देखकर तुमको अक्सर हमें ये एहसास होता है, कभी कभी ग़म देने वाला भी कितना ख़ास होता है।