हमारी पहचान और समृद्धि का एक अंग है – हमारी संस्कृति,डेजर्ट फेलो – राकेश यादव की कलम से

Part of our identity and prosperity is our culture,
Part of our identity and prosperity is our culture,

हमारी पहचान और समृद्धि का एक अंग है – हमारी संस्कृति

ivillagenetwor न्यूज़  बीकानेर। 07 जून 2023 :
संस्कृति को विलुप्त होने से बचाने की आवश्यकता आज के समय मे बहुत जरुरी है | हम इस समय हमारी पुरानी संस्कृति को भूलते जा रहे और जो हमारी संस्कृति थी ही नहीं कभी उसे अपनाते जा रहे है ,जिससे नुकशान हमें और हमारी आने वाली पीढ़ी को है, दावा यह है कि संस्कृति में हमारे मानवीय मूल्यों का विस्तार और स्वाद है। यह दावा संस्कृति के महत्व को समझने और इसे सुरक्षित रखने की जरूरत को प्रकट करता है।

संस्कृति मानवीय विकास का महत्वपूर्ण हिस्सा है। इसमें हमारी भाषा, विचारधारा, रीति-रिवाज, कला, साहित्य, दर्शन, सांस्कृतिक परंपराएं, धर्म, जीवन शैली, ज्ञान, और विचारों का समावेश होता है। यह हमारी पहचान और समृद्धि का एक महत्वपूर्ण अंग है। एक महत्वपूर्ण तत्व संस्कृति की विरासत है, जो हमारी पूर्वजों द्वारा सामाजिक, सांस्कृतिक, और मानवीय अनुभवों का आदान-प्रदान करती है। संस्कृति हमें हमारी अंतर्निहित सामग्री से जोड़ती है, जिससे हम अपने बीते, वर्तमान, और भविष्य के बीच संपर्क बनाए रख सकते |

संस्कृति का महत्व – संस्कृति मानवीय विकास का महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह हमारी पहचान, समृद्धि, और एकता का माध्यम होती है। संस्कृति में हमारी भाषा, विचारधारा, कला, साहित्य, दर्शन, सांस्कृतिक परंपराएं, धर्म, जीवन शैली, ज्ञान, और विचारों का समावेश होता है।

संस्कृति की विरासत – संस्कृति एक महत्वपूर्ण विरासत है जो हमारी पूर्वजों द्वारा सामाजिक, सांस्कृतिक, और मानवीय अनुभवों का आदान-प्रदान करती है। इससे हमें हमारे इतिहास, संस्कृति और विरासत की महत्वपूर्ण बातें पता चलती हैं और हम इसे आगे बढ़ाने में सक्षम होते हैं।

संस्कृति के संरक्षण की आवश्यकता – आजकल, हमारे समय में संस्कृति को विलुप्त होने की आशंका है। हम अपनी पुरानी संस्कृति को भूलते जा रहे हैं और नई संस्कृति को अपनाने में ज्यादा ध्यान देते हैं। इससे हमारा और आने वाली पीढ़ी का नुकशान हो रहा है। इसलिए, हमें अपनी संस्कृति को सुरक्षित रखने के कदम उठाने चाहिए |

संस्कृति के नुकसान की चिंता – हम आजकल हमारी पुरानी संस्कृति को भूलते जा रहे हैं और उसे अपनाने की बजाय नई संस्कृति की ओर ध्यान देने लगे हैं। इससे हमारे और आने वाली पीढ़ियों हमारी संस्कृति का कभी पता ही नहीं चल पायेगा और कुछ दशक बाद हमारी संस्कृति विलुप्त हो जाएगी

संस्कृति को सुरक्षित रखने के लिए, हमें अपनी संस्कृति के प्रति ज्ञान प्राप्त करना चाहिए। संस्कृति से संबंधित किताबें पढ़ने, ऐतिहासिक स्थलों का दौरा करने, स्थानीय परंपराओं और उत्सवों में भाग लेने, और वर्तमान में हमारी संस्कृति के प्रति सक्रिय रहने की जरूरत है | नई पीढ़ियां हमारी संस्कृति के महत्व को समझें और उसे संरक्षित रखें ताकि वे अपनी पूर्वजों के मूल्यों, परंपराओं और सांस्कृतिकधन को समझ सकें। यह हमें व्यापक रूप से संस्कृति के विभिन्न पहलुओं के प्रति संवेदनशील बनाएगा और हमारी विरासत की महत्वपूर्ण बातों का सम्मान करेगा |

मेरा नाम राकेश यादव है । मैं होशंगाबाद नर्मदापुरम संभाग मध्यप्रदेश से हु ! में पिछले 8 वर्षो से सामाजिक क्षेत्र मै बच्चो व युवाओ के साथ सीखने-सिखाने की प्रक्रिया का हिस्सा रहा हु ! साथ ही पिछले 5 वर्ष से,कला के माध्यम से,कला के क्षेत्र मै, कलाकारों के साथ, सामाजिक बदलाव की कहानी,को कला से जोड़कर देखा जाये और अपनी कला को सामाजिक बदलाव का हिस्सा बनाया जाये! पर कार्य किया है,में अभी फिल हाल राजस्थान में अरविन्द ओझा फेलोशिप उरमूल सीमांत समिति में एक वर्ष की फेलोशिप कर रहा हु जहा में घुमंतू पशुपालक और पशुपालन पर कहानिया लिख रह हु,साथ ही डेजर्ट और इंसानों के बिच जो सुबह की पहली किरण से रात चांदनी के सफर तक का जो संघर्ष है उससे सिख रहा हु!

डेजर्ट फेलो – राकेश यादव
मोबाइल – 8251028291

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