बच्चों के परीक्षा परिणामों को सोशल मीडिया पर डालने के प्रभाव,पेरेंट्स करें उनकी तनाव, चिंता दूर .

Effects of putting children's test results on social media
Effects of putting children's test results on social media

ivillagenetwor न्यूज़ बीकानेर : वर्तमान में सोशल मीडिया एक महत्वपूर्ण साधन बन गया है जिसका उपयोग लोग विभिन्न सामाजिक और व्यक्तिगत उद्देश्यों के लिए करते हैं। हालांकि, बच्चों के परीक्षा परिणामों को सोशल मीडिया पर डालने का अभ्यास कुछ नकारात्मक प्रभाव भी पैदा कर रहा है। जब एक माता-पिता अपने बच्चे के परीक्षा परिणामों को सोशल मीडिया पर साझा करते हैं, तो इसके कई सामाजिक और मनोवैज्ञानिक प्रभाव होते हैं। यह दूसरे बच्चों को असुरक्षित महसूस कराता है जिन बच्चो के परीक्षा परिणाम अच्छे नहीं आये है और उनमें आत्मविश्वास कम करता है। उनका मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित होता है और उन्हें आत्महत्या और अपनी क्षमताओं पर संदेह होता है।इसके अलावा, ऐसे पोस्ट करने से माता-पिता अपने बच्चों को अतिरिक्त दबाव महसूस कराते हैं। बच्चों को लोगों की प्रतिक्रिया और अपेक्षाओं के बारे में चिंता होती है,
बच्चों के परीक्षा परिणामों को सोशल मीडिया पर साझा करना आम बात हो गई है, लेकिन ऐसा करने से पहले आपको ध्यान देने योग्य कुछ महत्वपूर्ण बातें हैं।

पहले-प्रभाव आपकी पोस्ट अपने बच्चे के परिणाम के बारे में सोशल मीडिया पर दूसरे लोगों के बीच पहुंचती है। जब आप अपने बच्चे के अच्छे परिणामों को साझा करते हैं, तो यह दूसरों को उन्नति और गर्व का अनुभव करा सकता है। लेकिन जब बच्चों के परिणाम अच्छे नहीं होते हैं, तो ऐसे पोस्ट देखने वाले लोग मानसिक रूप से प्रभावित होते हैं और यह उनका आत्मविश्वास कमजोर करता है। विशेष रूप से, यदि अन्य बच्चों के परिणाम सोशल मीडिया पर अच्छे हैं, तो इसके कारण उन्नति नहीं होने पर तनाव और दबाव बढ़ सकता है।
बच्चे की गोपनीयता सोशल मीडिया पर अपने बच्चे के परिणामों को साझा करने से पहले, आपको ध्यान देना चाहिए कि आपके बच्चे की गोपनीयता का संरक्षण होना चाहिए। आपको सुनिश्चित करना चाहिए कि उनके नाम, पता, स्कूल या अन्य व्यक्तिगत जानकारी साझा नहीं हो चाहिए है।
संतुष्टि का प्रतीक यदि आप अपने बच्चे के परिणामों को साझा करना चाहते हैं, तो आपको संतुष्टि और गर्व को प्रोत्साहित करने का तरीका चुनना चाहिए। आपकी पोस्ट में आपकी उन्नति के पीछे की मेहनत, लगन और परिश्रम का प्रशंसा करें। इससे दूसरे लोग इनस्पायर होंगे और अपने लक्ष्यों के प्रति समर्पित होंगे।

संवेदनशीलता और संवेदना जब आप बच्चों के परिणामों को साझा करते हैं, तो ध्यान देना चाहिए कि आपकी पोस्ट दूसरों को हानि न पहुंचाए और किसी को निराश ना करे। आपको संवेदनशीलता और संवेदना के साथ अपनी बात प्रस्तुत करनी चाहिए,
दूसरे बच्चों के लिए भी, इस तरह के पोस्ट सोशल मीडिया पर दृश्यमान होते हैं और इससे उनकी संघर्षों और तनाव की स्थिति बनती है। वे अपने आप को नकारात्मक तुलनात्मकता में तालाबंद करते हैं और आत्मविश्वास की कमी का अनुभव करते हैं।

अपने बच्चे को अच्छा महसूस कराने और गर्व महसूस करना – कराना या अपने सागे सम्बन्धियों तक अपने बच्चो की उपलब्धि को पोहचाने के और भी तरीके हो सकते है |
प्रशंसा करें अपने बच्चे के प्रयासों, योग्यताओं और सफलताओं की प्रशंसा करें। उन्हें एक प्रतिफल दें और उनकी मेहनत और समर्पण को मान्यता दें। यह उन्हें आत्मविश्वास और संतुष्टि का एहसास दिलाता है।

उन्नति को संवर्धित करें अपने बच्चे के रुचियों, क्षमताओं और दक्षताओं को पहचानें और उन्हें उनमें विशेषज्ञता प्राप्त करने के लिए समर्थन करें। उन्हें संगठित गतिविधियों, कक्षाओं या संघों में शामिल होने के लिए प्रेरित करें ताकि वे अपने रुचियों को और विकसित कर सकें।

सहयोग करें अपने बच्चे के साथ संपर्क बनाए रखें और उनकी सहायता करें। उनके साथ संवाद करें, उनकी समस्याओं को समझें और उनके साथ उन्नति के लिए संगठित रूप से काम करें। उन्हें सुरक्षित महसूस कराएं और उनकी समर्थाओं पर विश्वास दिलाएं।

राकेश यादव (डेसर्ट फेलो) बज्जू बीकानेर राजस्थान
मोबाईल नंबर- 8251028291
मेल – rakesh.kumar@ourdeserts.org
“कला के माध्यम से सामाजिक बदलाव की कहानी: एक कलाकार के रूप में मेरा अनुभव”
मेरा नाम राकेश यादव है मैं होशंगाबाद नर्मदापुरम संभाग मध्यप्रदेश से हूँ। मैंने पिछले 8 साल से सामाजिक क्षेत्र में बच्चों और युवाओं के साथ सीखने-सिखाने की प्रक्रिया का हिस्सा बना हुआ हूँ। इसके साथ ही, पिछले 5 साल से, कला के माध्यम से कलाकारों के साथ काम कर रहा हूँ जो सामाजिक बदलाव की कहानी को कला से जोड़कर देख रहे हैं। मुझे लगता है कि कला एक ऐसा माध्यम है जो हमें सामाजिक बदलाव की कहानियों को सुनाने और उन्हें समझाने में मदद करता है।मेरे द्वारा किए गए कार्य में, मैं वर्तमान में राजस्थान में अरविंद ओझा फेलोशिप उरमूल सीमांत समिति बज्जू बीकानेर में एक वर्ष की फेलोशिप कर रहा हूँ। यहाँ मैं घुमंतू पशुपालक और पशुपालन पर कहानियां लिख रहा हूँ। साथ ही डेजर्ट और इंसानों के बीच जो संघर्ष है,जो सुबह की पहली किरण से रात चांदनी के सफर तक का होता है। उस पर कहनिया लिख रह हु और उससे सीख रहा हूँ।

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