गोविंद की हार बचाने को सीएम ने खाजूवाला छतरगढ़ पर बदला अपना निर्णय, नाराज थी जनता,गोविंद ने पहले ही कहा था, निर्णय न बदला तो हार जाऊंगा
ivillagenetwor न्यूज़ बीकानेर। 08 अक्टूबर 2023 :प्रदेश के आठ जिलों में पुनर्गठन को लेकर विरोध चल रहा है। सरकार ने सिर्फ खाजूवाला – छत्तरगढ़ को अनूपगढ़ से अलग कर वापस बीकानेर में जोड़ने का निर्णय किया। इसके पीछे खाजूवाला और छत्तरगढ़ का ऐतिहासिक जनआंदोलन, विधानसभा चुनाव का सर पर होना और कैबिनेट मंत्री गोविंद राम मेघवाल के दबाव ने काम किया। सीएम को अपना निर्णय बदलना पड़ा। चुनाव में नतीजा क्या होगा वह भविष्य के गर्भ में है लेकिन इस फैसले से कांग्रेस के खिलाफ यहां बनी एंटीइनकंबेंसी जरूरी कम होगी।
विश्लेषक कहते हैं कि अगर विधानसभा चुनाव नजदीक ना होते और कांग्रेस को खाजूवाला सीट को हारने का डर ना होता तो दोनों ही उपखंड वापस बीकानेर जिले में नहीं आते। इसी विधानसभा क्षेत्र के कुछ लोग अनूपगढ़ में जाने के समर्थक भी हैं। अनूपगढ़ जिले से खाजूवाला – छत्तरगढ़ वापस आने से अनूपगढ़ में कांग्रेस को कुछ नुकसान हो सकता है लेकिन बीकानेर में अब मुकाबला कांटे का होने का अनुमान है क्योंकि चुनाव से ठीक पहले बदले इस निर्णय को कांग्रेस और गोविंद मेघवाल कैश कराने की कोशिश करेंगे। इसकी शुरूआत भी सोमवार से हो सकती है। खाजूवाला बचाओ संघर्ष समिति ने मंत्री गोविंद राम मेघवाल का सम्मान करने का निर्णय लिया है। दूसरी ओर गोविंद मेघवाल ने भास्कर से कहा कि मैने खाजूवाला और छत्तरगढ़ के आंदोलनकारियों को वादा किया था कि अनूपगढ़ में नहीं जाने देंगे। मैने मेरा वादा निभाया है। इस निर्णय में आंदोलनकारियों के शांतिपूर्ण आंदोलन का भी सहयोग है। अब सभी को साथ मिलकर क्षेत्र का विकास कराने में जुट जाना चाहिए।
गोविंद को हार का डर था, सीएम को एक सीट खोने का
गोविंदराम ने सीएम से कहा था कि अगर खाजूवाला और छत्तरगढ़ वापस बीकानेर जिले में शामिल नहीं हुआ तो वे चुनाव हार जाएंगे। गोविंद ने इसकी वजह भी बताई कि इस आंदोलन से भाजपा को क्षेत्र में मेरे खिलाफ बोलने का मौका मिल गया। तब ही सीएम ने उनसे कहा था कि रामलुभाया कमेटी के सामने आप बात रखो। मैं जरूर कुछ करूंगा। इसके बाद लगातार चल रहे आंदोलन की फीडबैक भी सीएम के पास जा रही थी। कांग्रेस के एक सर्वे में भी ये सामने आया कि सिर्फ अनूपगढ़ में शामिल होने के बाद खाजूवाला सीट कांग्रेस के खाते से दूर हो रही। बीच में जब अल्पसंख्यक वर्ग का प्रतिनिधि मंडल सीएम से मिला तब भी खाजूवाला – छत्तरगढ़ का मुद्दा सीएम के सामने उठा। दूसरी ओर गोविंद का कद भी पार्टी ने बड़ा करते हुए उन्हें कैंपेनिंग कमेटी का चेयरमैन बना दिया। मास्टर भंवर लाल के बाद गोविंद पश्चिमी राजस्थान के बड़े एससी चेहरा बन गए। इसलिए पार्टी के लिए उनकी जीत के साथ एक-एक सीट जरूरी है। इसलिए सीएम ने ये निर्णय लिया। देरी इसलिए हुई क्योंकि बीकानेर को छोड़ बाकी जहां सात जगह आंदोलन चल रहे वहां भी कमोबेस यही मांग है लेकिन सीएम सारी जगह संशोधन करने के मूड में नहीं थे। इसलिए आचार संहिता के करीब आकर ये निर्णय किया। कुछ जगह की नाराजगी तीन नए जिले और बनाकर दूर कर दी।
बज्जू का नाम मिस प्रिंट से दुबारा जारी हुआ नोटिफिकेशन
दरअसल जब छह अक्टूबर को सरकार ने पुनर्गठन को लेकर नोटिफिकेशन जारी किया उसमें बीकानेर जिले में आठ उपखंड बताए । अनूपगढ़ में चार उपखंड लेकिन बीकानेर
उपखंड का नाम शामिल नहीं किया। ह्यूमन त्रुटि के कारण बज्जू को लिखना भूल गए। जबकि बीकानेर में बज्जू को मिलाकर नौ उपखंड हैं। इसलिए 7 अक्टूबर को बीकानेर जिले का वापस पुनर्गठन आदेश जारी हुआ जिसमें बज्जू का नाम भी लिखा गया। इसी आधार पर कुछ लोगों ने पुनर्गठन के आदेश को ही फेक बताना शुरू कर दिया। कुछ मीडिया ने भी इसे मुद्दा बना लिया। इसलिए शनिवार को वापस संशोधित आदेश जारी हुआ। क्योंकि बज्जू का किसी और जिले में जिक्र नहीं था तो सीधे तौर पर बीकानेर का ही पार्ट माना गया। ■ ये जीत संघर्ष की है। लोगो के हौसले और उनकी एकजुटता का नतीजा है। सरकार को जन मानस के आगे झुकना पड़ा। बीजेपी ने हमेशा आंदोलन का साथ दिया।
-डॉ. विश्वनाथ मेघवाल, पूर्व संसदीय सचिव